भारतीय फिल्म संगीत के स्वर्णिम काल का पहला अध्याय जिनके योगदान के बिना हमेशा अधूरा ही रहेगा, ऐसे महान संगीतकार नौशाद के सदाबहार गीतों का यह खजाना संगीत प्रेमियों के मनोरंजन में समर्पित।

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  आग में तपने के बाद जो निखरे नहीं वो सोना कैसा? बचपन में संगीत सिखने के लिए नौशाद ने पता नहीं क्या क्या पापड बेले - घरवालों का विरोध सहा, फुटपाथ पे रहे, धूप में खाली पैर कितने चक्कर काटें, भूखे पेट भी सोये और चोरी छुपे शास्त्रीय संगीत सीखते रहे। बचपन में संगीत का इतना आकर्षण था की लखनौ के एक मोहल्ले में संगीत-साजों की एक दुकान में साफ-सफाई का काम किया करते। संगीत के प्रति उनकी लगन देखकर दुकान के मालिक ने उन्हें एक हारमोनियम उपहार रूप में दिया जो उनके अब्बाने घर के बहार फेंक दिया। इसके बाद नौशाद घर छोड कर बम्बई चले आये जहाँ कडी मेहनत के बाद इनके जिंदगी का सुरीला सफर शुरू हुआ जो ६ दशकों तक हिंदी सिनेमा जगत पे छाया रहा।

  नौशाद की धुनों में भारतीय संस्कृति और शास्त्रीय संगीत की आत्मा बसती थी। हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत तथा लोक संगीत के आधार पर बनायी हुई उनकी धुनें काफी लोकप्रिय हुई। पद्मभूषण नौशाद ने जिन फिल्मों को संगीत दिया उनमें २६ सिल्वर जुबिली हिट, ९ गोल्डन जुबली हिट और ३ डायमंड जुबिली हिट शामिल है। उनका कहना था की जैसे समय गुजरता गया, फिल्मों में सितार, शहनाइयों की आवाज कम होती गई और लडाई, पिस्तौल, तोपों का शोर बढता चला गया और फिल्मों में संगीत देने की उनकी चाह कम होती गई। मोहम्मद रफी के अचानक गुजर जाने के बाद नौशाद काफी दुखी हुए। उनकी धुनें लोकप्रिय बनाने में रफिसाहब का काफी योगदान था।

  एक जमाना था जब बम्बई में संगीत सिखने के लिए आये हुए नौशाद को रहने के लिए घर नहीं था... आज एक घर ऐसा नहीं जहाँ इनकी धुनें बजती नहीं... यह है भारतीय संगीत का कमाल और संगीतकार की महानता !

  Naushad Ali, one of the most revered and celebrated music composers in the history of Hindi cinema, played an extraordinarily influential role in shaping the golden era of Bollywood music. His remarkable ability to blend classical Indian melodies with modern orchestral arrangements made his compositions not only unforgettable but truly timeless. With a career that spanned over five decades, Naushad's songs continue to reverberate through the hearts of millions, proving that his music is much more than mere entertainment – it is an evocative and soulful experience that touches the very core of human emotions.

  Padma Bhushan Naushad constantly used Indian ragas in a lovely way, and his music was heavily influenced by classical melodies. For instance, a significant turning point in his career was the soundtrack for the 1952 movie Baiju Bawra. Classical ragas such as Raga Miyan Malhar, Raga Bhairavi, and Raga Hansadhwani were employed by Naushad in this movie. He effectively captured the feelings and circumstances of the movie's characters in these ragas. By incorporating Western musical elements into Indian music, Naushad enhanced his compositions even further. Naushad employed instruments including guitar, piano, and synthesizer, which was unusual at the time. The impact Naushad had on Hindi cinema music will never be forgotten. His songs featured a great blend of Western music with the authenticity of Indian music. His musical works continue to live on in the hearts of those who have contributed significantly to the international recognition of Indian cinema music. To refer to Naushad as the founder of the film business would not be an overstatement.

  It won't be an exaggeration to call Naushad the Godfather of the music film industry. Naushad’s music was more than just an accompaniment to films; it was an essential part of the storytelling itself. His melodies transcended the confines of the screen, becoming an indelible part of Indian culture. The songs he composed continue to be celebrated not only for their musical brilliance but for the emotions they evoke, the memories they bring, and the timeless beauty they hold. As Bollywood music continues to evolve, Naushad’s legacy remains a beacon of artistic excellence, a shining example of the enduring power of music to stir the soul.

  The classic compositions of Naushad every Indian music lover is proud of are: Man Tarpat Hari Darshan Ko Aaj, Mohe Bhool Gaye Saanwariya, Do Sitaron Ka Zamin Par Hai Milan Hai Aaj Ki Raat, Madhuban Mein Radhika Nache Re, Pyar Kiya To Darna Kya, Yeh Kaun Aaya Roshan Ho Gayi, Tu Ganga Ki Mauj Main Jamuna Ka Dhaara, Tere Husn Ki Kya Tareef Karoon, Maan Mera Ehsaan Arey Naadaan,Mere Mehboob Tujhe Meri Muhabbat Ki Kasam

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