सलिल चौधरी की यह विशेषता रही की गानेवाले की क्षमता के अनुसार वे अपनी धुनें बनाते। उनकी कई धुनें थी गाने के लिए बडी कठिन लेकिन सुनने में बडी मीठी। फिल्म संगीत के सुनहरे दौर के एक असामान्य प्रतिभा के धनी, सलिल चौधरी के कुछ अजरामर गीत सुनिए।

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  १९५८ में लॉस ऐंजेलिस में हुई वो घटना क्या आपको याद है ? हिंदुस्तानी साज बेचनेवाले एक अमेरिकन दुकान में नवयुवक सलिल एक खास संगीत-सितार खरीदने गये और वहाँ उन्होंने उसे बजाकर देखा। उनके सितारवादन से दुकानदार इतने खुश हुए की वोह सितार उन्होंने सलिल चौधरी को उपहार रूप में दे दिया और कहा,"इतने सितार मैंने सुने है लेकिन आपका वादन तो पंडित रविशंकर के श्रेणी का है।" वोह सितार लेके सलिलदा भारत पधारे। फिल्म 'परख' का वो गाना - ओ सजना, बरखा बहार आयी में जो सुर सुननेवाले के दिल को झंकारते हैं, वो सुर उसी वीणा से सलिलदा ने निकाले हुए है।

  बहुमुखी प्रतिभा के मालिक सलिल चौधरी एक गीतकार, लेखक, फिल्म समीक्षक, संगीतकार सबकुछ थे, लेकिन दुनिया उन्हें जानती है उनके महान संगीत के लिए। वे वैश्विक साम्यवाद के पुरस्कर्ता थे, इसलिए उनके संगीत में केवल बंगाली ही नहीं बल्कि पंजाबी, कश्मीरी, यूरोपीय तथा पाश्चात्य संगीत का भी प्रभाव दीखता है। उनके पिता के पास western classical संगीत का बहुत बडा संग्रह था। यही कारण है सलिलदा के संगीत में काफी मात्रा में विविधता दिखाई पडती है। उनके संगीत में स्केल के इतने उतार-चढाव हुआ करते थे कि कुशल गायकों को भी उनका गाना रिकार्ड करने में कई रीटेक लेने पडते। सलिल चौधरी ने लता जी जैसे हरफनमौला गायिका से कई जटिल गीत गवा लिए (जैसे फिल्म 'मधुमती') और मुकेश जैसे मंद सप्तक में गानेवाले गायक के लिए कई सुगम गीत भी बनाये (जैसे फिल्म 'आनंद'), लेकिन हर किस्म के उनके गीत मधुरता एवं गेयता से परिपूर्ण हुआ करते थे।

  Salil Choudhury, a name synonymous with melodic brilliance and orchestral innovation, stands as one of the most influential composers in the history of Hindi cinema. His music, known for its exquisite blend of classical ragas, folk melodies, and Western orchestration, continues to captivate listeners even decades after its creation. Salil Choudhury's journey into the world of music was marked by his early exposure to a variety of musical forms. He had an innate understanding of music’s ability to evoke emotions and convey complex narratives, a quality that set him apart from many of his contemporaries. Over the course of his career, Salil Choudhury crafted a body of work that transcended boundaries, leaving a lasting imprint on Bollywood’s musical landscape. His sound was distinctive, with an ability to weave diverse influences into a cohesive musical experience that was both modern and deeply rooted in tradition.

  Salil Choudhury’s early musical training in classical and folk traditions greatly influenced his compositions. He had an innate understanding of rhythm, melody, and orchestration, all of which were evident in his scores. What set him apart from other composers of his time was his ability to blend Indian classical music with Western orchestration. This fusion was revolutionary at the time and opened up new possibilities for music in Indian cinema. Unlike other music directors who leaned heavily on traditional instruments, Choudhury was unafraid to experiment with orchestral instruments like violins, cellos, and pianos, bringing a symphonic richness to his music. This fusion of Eastern and Western sounds became a hallmark of his style and a defining feature of his greatest works.

  Salil Choudhury’s contribution to Bollywood music is nothing short of monumental. His ability to fuse the traditional with the modern, to convey complex emotions through simple yet powerful melodies, and to create music that spoke to the heart and soul of the nation is what has made him one of the most enduring composers in the history of Indian cinema. Even as the world of film music continues to evolve, the timeless appeal of Salil Choudhury’s compositions ensures that his place in the pantheon of greats remains secure.

  Some of the most melodious songs of Salil Choudhury are: O Sajna Barkha Bahaar Aayi, Zindagi Kaisi Hai Paheli Haay, Maine Tere Liye Hi Saat Rang Ke Sapne Chune, Ja Re Ja Re Ud Ja Re Panchhi, Rajnigandha Phool Tumhare, Suhana Safar Aur Yeh Mausam Hasin, Tasveer Teri Dil Mein, Kahin Door Jab Din Dhal Jaye, Dil Tadap Tadap Ke Kah Raha Hai , Ghadi Ghadi Mora Dil Dhadke

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