खय्याम के संगीत का स्पर्श पाते ही शब्द, जो इतने समय से कागज पे निद्रिस्त रूप में पडे हुए थे, मानों जिन्दा हो उठते हैं। उनके सुरों में एक नजाकत, एक कोमलता होती है जो अपने साथ सुननेवालों को भी एक नदी की भाँति अविरत बहने वाले संगीत की धारा में डुबो देती है। सुनिए उनके कुछ सुरीले गीत -

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⋇ गीत:

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  इस भागदौड भरी जिंदगी में अपने तनाव को भूलकर आप चंद क्षणों के लिए कुछ सुकून पाना चाहते हैं तो आराम से बैठ जाइये और अपने कानों में खय्याम की धुनें सुनिए। बस, आपको यूँ लगेगा जैसे प्रकृति आप के साथ मधुर वार्तालाप कर रही है। प्रकृति का हर एक सूर, चाहे वो नदी का लहराता पानी हो या वादियों में गूँजनेवाली पवन की आहट, खय्याम के संगीत में जीवित हो उठती है। राग पहाडी और यमन का जिस बखूबी से खय्याम ने फिल्म संगीत में इस्तेमाल किया वैसा शायद ही किसी और ने किया हो। उनकी धर्मपत्नी जगजीत कौर ने भी उनके संगीत निर्देशन में काफी गीत गायें। भूपेंद्र, नितिन मुकेश जैसे नये गायकों को भी उन्होंने गाने का मौका दिया। खय्याम की विशेषता यह थी कि गानें में व्यक्त होनेवाले भाव के अनुरूप वे गायक का चयन करते।

  खय्याम अक्सर कहा करते थे की यदि रोजी रोटी के लिए मुझे अपने संगीत का स्टैंडर्ड गिराना पडे तो वो मैं नहीं करूँगा, भले ही काम कम आए लेकिन संगीत सदैव बुलंदियों पर ही रहना चाहिए। अपनी ९२ साल की लम्बी उम्र में उन्होंने भारत का विभाजन देखा, दूसरे विश्वयुद्ध में भी हिस्सा लिया लेकिन जीवन की यात्रा तय की संगीत के सुरों के साथ। उनके सुरीले संगीत ने उन्हें अपने चाहनेवालों के दिलों में अजर अमर स्थान दिला दिया।

  Khayyam, one of the most distinguished and respected music composers in the history of Hindi cinema, has left behind a legacy of timeless music that continues to resonate with audiences to this day. With a career spanning over four decades, Khayyam’s music is known for its deep emotional resonance, its lyrical beauty, and its classical sophistication. His compositions often had a unique depth that set them apart from the more commercial sounds that dominated the Hindi film music scene. The songs he composed were timeless in their appeal, often bringing together a deep sense of nostalgia and emotional resonance, which flow silently like a river.

  People's expectations rise even further when a musician's song becomes a hit. Fans of music composer Khayyam are never let down. He once said, "I will only give music to a few songs only, but I will never allow the quality of my music to suffer for financial gain." His talent and hard work were the reasons for everything he accomplished in life. Lata ji and Asha ji themselves were among the millions who admired his music. The combination of melody, words, and human emotions in Khayyam's music transports the listener to the heaven of Himalayan valleys. Khayyam's music is that aspect of our rich musical history that, far from being artificial, evokes strong emotions, like to the fading of the sun before sunset. His incredibly multicolored and rich music conveys a profound emotion that touches everyone's heart.

  In addition to his ability to compose timeless melodies, Khayyam was known for his unique approach to orchestration. Unlike many of his contemporaries, Khayyam often preferred minimalistic orchestration, focusing on the interplay of individual instruments to create the desired mood. He avoided unnecessary embellishments and instead used each note and sound deliberately to create depth and emotion. His approach to arranging his music was meticulous, and his orchestral scores often featured intricate details that listeners could appreciate upon multiple listens. Khayyam’s commitment to the art of music and his refusal to compromise on his principles made him one of the most respected composers in the Hindi film industry. Khayyam’s music remains an integral part of the rich history of Hindi cinema. His works continue to be celebrated for their lyrical beauty, emotional depth, and classical influence.

  Khayyam will be ever remembered for these reverberating tunes: Kabhi Kabhi Mere Dil Mein Khayal Aata Hai, Dil Cheez Kya Hai Aap Meri Jaan Leejiye, In Aankhon Ki Masti Ke Mastane Hazaron Hain, Shaam-E-Gham Ki Kasam, Yeh Kya Jagah Hai Doston, Aa Ja Re O Mere Dilbar Aaja, Dikhai Diye Yun Ke Bekhud Kiya, Tum Apna Ranj-O-Gham Apni Pareshani Mukhe De Do, Aap Yun Faaslon Se Guzarte Rahe, Main Pal Do Pal Ka Shayar Hoon

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