हर कलाकार का यह सपना होता है कि जीवन में उसे कम से कम एक बार ही सही फिल्मफेअर पुरस्कार जरूर मिले। फिर जिनको सात बार यह पुरस्कार मिल चुका हो उनकी तो बात ही क्या है! देखिए साधारण से दिखनेवाले इन लक्ष्मीकांत - प्यारेलाल के ये असाधारण गीत जिनका जादू दशकों से दर्शकों के सिर चढकर बोल रहा है –

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  लक्ष्मीकांत - प्यारेलाल का प्रारंभिक दौर बडा कठीन रहा। पहले तो ये इंस्ट्रूमेंटालीस्ट रहे और बाद में असिस्टंट फिर अरेंजर रहते हुए बॅकग्राऊंड म्यूझिक देने लगे। इनकी सूरत तथा कपडों की ओर देखकर प्रोड्युसर सोचते कि ये लडके क्या संगीत देंगे। बस, किस्मत ने करवट बदली और इन्हे 'पारसमणी' फिल्म मिल गयी जिसके संगीत का स्पर्श पाकर इनका पूरा करिअर सोने में तकदिल हो गया। इन्हें संगीतकार के रूप में स्थापित होने में लताजी और रफी साहाब ने अहम भूमिका निभायी थी।

  बचपन से ही साथ साथ पढनेवाले, खानेवाले, क्रिकेट खेलनेवाले जिगरी दोस्त लक्ष्मीकांत और प्यारेलाल की जिस फिल्म ने पुरे देश में धूम मचा दी थी, उसका नाम भी था - दोस्ती। क्रिकेट के खेल में जो बॅट्समन पहलेही गेंद पे छक्का लगा दे वह खलबली मचा देता है। लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के साथ ऐसाही हुआ। १९६३ में उनके संगीत से सजी फिल्म 'पारसमणी' का संगीत खूब लोकप्रिय हुआ। जिस कलाकार के पास गुणवत्ता के साथ मात्रा भी हो वह सबसे सफल कलाकार मन जाता है। लक्ष्मी-प्यारे की इस जोडी ने २५० से भी अधिक हिंदी फिल्मों में संगीत दिया और लगभग हर वर्ष बेस्ट म्यूजिक डिरेक्टइर के अवार्ड के लिए उनका एक गीत नामांकित होता रहा। इस नायाब जोडी के ३५ साल के सांगीतिक करिअर में लता मंगेशकर से लेकर अनुराधा पौडवाल तक, आशा भोसले से लेकर अलका याज्ञिक तक, मोहम्मद रफी से लेकर उदित नारायण तक, किशोर कुमार-मन्ना डे से लेकर एस. पी. बालसुब्रमण्यम तक हर गायक की आवाज में इनकी धुनें अमर गानों में तकदील हो गयी। जिस संगीतकार के गाने आज भी रेडियो पे सर्वाधिक बजते है, उनका नाम है - लक्ष्मीकांत प्यारेलाल।

  इनके संगीत में जितनी वरायटी है वैसी और किसी संगीतकार के संगीत में दिखाई नहीं पडती। हर गाने का संगीत ओरीजिनल है और बाद में कहीं भी रिपीट नहीं हुआ है। साठ के दशक में प्रारंभ हुआ उनका संगीत हर दशक के साथ बदलता गया लेकिन लोकप्रियता की चोटी पे बना रहा।

  Laxmikant-Pyarelal's music was both eclectic and rich, often combining Western orchestration, classical Indian instruments, folk music, and catchy tunes that captured the essence of the narratives they scored. Active primarily during the 1960s, 1970s, and 1980s, their collaboration spanned over five decades and resulted in some of the most beloved and memorable music in the world of Indian cinema. Throughout their career, Laxmikant-Pyarelal’s music was marked by its emphasis on melody, rhythm, and orchestration. The duo was known for their ability to weave intricate arrangements with a smooth flow that made their music accessible to listeners across the world. Their mastery over musical instruments, both Western and Indian, allowed them to create songs that were rich in texture and tone. They frequently used orchestral strings, brass instruments, and percussion alongside traditional Indian instruments like the sitar, tabla, and flute, creating a sound that was uniquely their own. Their music was also characterized by the intricate arrangements of vocal harmonies, which added depth to their songs.

  Laxmikant-Pyarelal is the name of that musical encyclopedia that features popular songs on every page they wrote! The name of the diligent and gifted artistic duo whose brilliance knows no bounds and whose accomplishments are uncounted is Lakshmi-Pyare. They were exposed to the finer facets of the music early in their career while working as assistants to numerous renowned music directors. Laxmikant-Pyarelal reportedly exclusively collaborated with well-known singers, filmmakers, and producers in the past. In actuality, the singers, directors, and producers they collaborated with achieved their highest level of fame. In Hindi film music, the pair ushered forth a new era of melody. How many memorable evenings their music must have bestowed to the lovers, and how many of their songs must have mended grieving hearts! Indeed, continuing to create outstanding music for decades is nothing short of a miracle.

  As the years passed and the industry evolved, Laxmikant-Pyarelal remained at the forefront of Bollywood music. Almost every year during their career, their song was nominated for Filmfare award. Though their career started to slow down in the 1990s, their contributions to the world of Indian film music have continued to inspire future generations of composers. Their body of work stands as a testament to their incredible skill and ability to adapt to changing musical landscapes while maintaining a sense of continuity and innovation. Even today, their songs are played regularly on television, radio, and at music concerts, continuing to captivate audiences. Their ability to adapt to the changing times while staying true to their musical roots, combined with their collaborations with talented lyricists and singers, makes them one of the most legendary composer duos in the history of Bollywood.

  Some of the most popular songs of Laxmikant-Pyarelal are: Ruk Jaana Nahin Tu Kahin Haar Ke , Satyam Shivam Sundaram , Mere Mehboob Qayamat Hogi , Chahoonga Main Tujhe Sanjh Savere ,Ek Pyaar Ka Nagma Hai , Suno Sajna Papihe Ne Kaha , Woh Jab Yaad Aaye Bahot Yaad Aye, Dard-E-Dil Dard-E-Jigar , Sheesha Ho Ya Dil Ho , Yashomati Maiya Se Bole Nandlala

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