अपने समय में कामयाब होना एक चीज है और वोह लोकप्रियता गुजरते वक्त के साथ बनी रहना एक कलाकार की उस सफलता को दर्शाता है जिसका संगीत कालातीत हुआ हो। मदन मोहन की धुनों की विशेषता यह थी की वो बस सुननेवाले को पता भी नहीं चलता की वो मीठे सुर कानों से सीधे उसके दिल में कैसे और कब उतर गये। उनके कुछ सफल गीत –
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बहलाये जब दिल ना बहले, तो ऐसे बहलायें,
गम ही तो है प्यार की दौलत, ये कहकर समझायें,
काँटों पर चलनेवालों को, चैन कहाँ, हाय, आराम कहाँ,
हम प्यार में जलनेवालों को ...
शब्दों की लडियाँ ऐसी गूथीं गईं हैं कि, इन गीतों की खूबसूरती आज भी ज्यों की त्यों बरकरार है। मदन मोहन और लता जी के संयुक्त प्रयास से जिन गीतों की रचना हुई, सारे के सारे श्रोताओं को मन्त्रमुग्ध करते हैं। जब जब मदन मोहन-लता-राजेंद्र कृष्ण यह तिकडी एक साथ आयी, तब तब दिल बहलाने वाले एक सुमधुर अमर गीत का जन्म हुआ। ऐसा संयोग शायद आनेवाले सैकडों सालों में दुबारा कभी न बन पाये ...
अपनी दिलकश धुनों से मदन मोहन ने यह साबित कर दिया था कि संगीत की फॉर्मल शिक्षा न लेने के बावजूद भी कोई चोटी का संगीतकार बन सकता है। लता जी उन्हें 'गजलों का बादशाह' कहा करती थी। लता और मदन मोहन की जोडी भारतीय फिल्म संगीत के सबसे कामयाब जोडियों में से एक है। धुन की रचना करने के बाद मदन मोहन जी अक्सर लता जी से कहते - मैंने ऐसी ऐसी धुन बनाई है, अब तुझे जैसा पसंद है वैसे गा और लता जी बाद में उस धुन में अपने सुरों से अमृत का संचारण कर देती। मदन मोहन के संगीत में लता जी की गायी हुई एक से एक बेमिसाल गजलें हैं।
कौन भूल सकता है फिल्म 'वह कौन थी' का वह अमर गीत - लग जा गले के फिर ये हंसी रात हो न हो, शायद फिर इस जनम में मुलाकात हो न हो...., जो कि लता जी के भी सबसे पसंदीदा गानों में से एक है, इस गाने के साथ एक दिलचस्प वाकया जुडा हुआ है। मदन मोहन जी ने हार्मोनियम पर इसकी धुन बनाई और लता जी के दिल पिघलाने वाले आवाज में यह गीत स्टूडियो में रिकॉर्ड भी हो गया। यह गीत सुनकर स्वयं मदन मोहन दंग रह गए ! जो तारीफ हमेशा शब्दों से बयां होती थी, इस बार आँसुओं के माध्यम से हुई। लता जी के आवाज ने स्वयं मदन मोहन का भी दिल हिला कर रख दिया और वो अपने आँसू नहीं रोक पाये।
१९७५ में एक टीवी कार्यक्रम में उस दौर के सब से मशहूर और कामयाब संगीतकार नौशाद ने कहा था कि 'आपकी नजरों में समझा' और 'है इसी में प्यार की आबरू' इन मदन मोहन की दो धुनों के बदले वो अपना पूरा संगीत मदन मोहन को समर्पित करने के लिए तैयार है। गीतों के शब्द मदन मोहन इस कुशलता साथ अपनी धुनों में पिरो देते थे कि वो धुन सुनने वाले की रूह की गहराइयों को छू लेती थी। एक लता जी ही थी जो उनकी धुनों को सौ प्रतिशत न्याय दे सकी, और किसी गायिका की आवाज में यह काबिलियत नहीं थी। इस संगीत के जादूगर को आपने जीवन में एक बार भी फिल्मफेयर अवार्ड नहीं मिला इससे बडा एक कलाकार का क्या दुर्दैव हो सकता है?
Madan Mohan, one of the most cherished and revered music composers in the history of Hindi cinema, is often remembered for creating melodies that not only defined an era but also linger in the hearts of listeners for generations. Madan Mohan's contribution to Bollywood music is both profound and timeless. Despite facing several challenges in his early years, Madan Mohan went on to carve out a space for himself among the greats of Indian film music, creating some of the most iconic and emotional compositions that continue to captivate audiences today. His music, filled with lush orchestration, soulful melodies, and evocative lyrics, has earned him the status of a true musical genius.
Music enthusiasts are still moved by Madan Mohan's songs because of their emotional depth and compassion. Madan Mohan's music has long been renowned for its depth, fluency, and simplicity. His melodies had a certain appeal that touched the listeners' hearts deeply. His songs made good use of raga-raginis, which revolutionized Hindi film music. His music skillfully highlights the subtleties between the tones. Through his inventions, Madanmohan brought all emotions to life, whether they were the story of life's hardships, the celebration of love, or painful experiences. The songs are a magnificent and unparalleled legacy of Hindi music, created with the blend of Madan Mohan's melody and Lata ji's enchanted voice.
One of the most endearing aspects of Madan Mohan’s music is its enduring appeal. Decades after their release, his songs continue to resonate with listeners. They have been covered, reimagined, and celebrated by generations of musicians, singers, and film enthusiasts. Madan Mohan’s music has a universal quality that transcends time and geography. Whether it’s a romantic ballad, a patriotic anthem, or a sorrowful ode to lost love, his compositions continue to captivate audiences with their beauty, sincerity, and emotional depth
Some of the most soulfully haunting melodies of Madan Mohan are: Kar Chale Hum Phida, Lag Jaa Gale Ke Phir ye, Aap Ki Nazron Ne Samjha, Tu Jahan Jahan Chalega Mera Saaya, Woh Bhooli Daastan Lo Phir Yaad Aa Gayi, Naina Barse Rim Jhim Rim Jhim, Unko Yeh Shikayat Hai Ki Hum, Hai Isi Mein Pyar Ki Aabroo, Jo Hamne Dastan Apni Sunai , Betaab Dil Ki Tamanna Yahi Hai
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Can I listen a song sung by madan mohan " maai re" film dastak. The same is not available.reqested to add in list.
ReplyDeleteThe video is not available as the song was probably removed from the film Dastak. But you can have a full audio of non-available videos also under भारतीय फिल्म संगीत: सुपरहिट फिल्में और सदाबहार गानें
Deleteगीत : होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा
Deleteगीतकार : कैफी आजमी
चित्रपट: हकीकत
दीप बुझेगा पर दीपक की, स्मृति कैसे बुझाओगे?
तारें वीणा की टूटेंगी, लय को कहॉं दबाओगे?
फूल कुचल दोगे फिर भी तुम, सौरभ कहॉं छिपाओगे?
मैं मिट चला मगर तुम दिल से, कैसे मुझे भुलाओगे?
सियाचिन की लहू जमा देने वाली ठण्ड, कई दिनों तक भूखे-प्यासे सैनिकों की आखरी गोली से आखरी सांस तक की यात्रा को कैफ़ी आज़मी के काव्य जिजीविषा चित्रण में महसूस किया जा सकता है।
गीत वर्ष 1962 चीन आक्रमण की युद्ध त्रासदी को दर्शाता है, जब कोई सैनिक अपने परिजनों को पत्र लिखता है जो एक फ़ौजी की ययावार जिंदगी का सहारा हैं, जिसमें वह जीवन की कठोरता को आधा छुपा लेता है, जिसके प्रत्येक मोर्चे पर वह अपने प्रियजनों की भावनाओं को अपने ही घरों में दफन कर देता है। ‘मेघदूतम्’ में कालिदास ने लिखा है - आपन्नार्ति प्रशमन फला: सम्पदो हृयुत्तमानाम् – अर्थात् उत्तमजनों की संपत्तियां विपत्तिग्रस्तों की पीड़ा हरने के लिए होती है, इसलिए, सैनिक जीवन की जय-पराजय सत्ताधाीशों से अपेक्षाकृत कहीं अधिक बड़ी होती है ।
कभी आंसू कभी ख़ुशी बेची,कभी अपनी बेकसी बेची,
चंद सांसे बचाने के लिए रोज थोड़ी सी जिन्दगी बेची
हर जंग में शरीक सिपाही सम्मान का पात्र हैं, चाहे उसका संबंध फतह से हो अथवा शिकस्त से ।
होके मजबूर.....सुखद स्मृतियों का दंश स्वयं के प्राणोत्सर्ग से भी संभव नहीं होता, यही भ्रम शायद विषपान से मुक्ति दिला दे, इस मुक्ति के उपचार के लिए औषधि समझकर शायद प्रिये ने चुपके से इसको आत्मसात किया होगा । अस्तित्व के इस संघर्ष में वीर अपनी प्रिय के मार्मिक कल्पनाओं को परिस्थितिजन्य भावनाओं में व्यक्त करते हुए उनके स्वर्णिम अवसरों की कामना करता है।
झुक गई होगी जवाँ-साल उमंगों की जबीं (ललाट),
मिट गई होगी ललक, डूब गया होगा यकीं,
छा गया होगा धुँआ, घूम गई होगी जमीं,
अपने पहले ही घरोंदे को जो ढाया होगा
मेरी आहों से ये रुखसार(गाल), न कुम्हला जायें,
जाओ कलियॉं न कहीं सेज की मुरझा जायें।
होके मजबूर .....दिल ने ऐसे भी कुछ अफसाने (कहानियां) सुनाए होंगे कि अविरल आँसू मार्ग बदलकर वर्फ की तरह हृदय के गर्त में जमने लगे होंगे। विस्मृति की प्रत्याशा में स्वयं को घर में कैद कर जब उन्होंने मेरे खत (पत्र) जलाना शुरू किये होगे तब खत के झुलसते एक-एक शब्द बल खाते हुए विरहाकुल प्रिय के जबीन (ललाट) पर उभरकर जख्मों को और हरा करते नजर आ रहे होंगे, जो टूटते भ्रम को सजीव कर रहे हैं। सहसा मुझे क्षणिक अपने समक्ष पाकर प्रिये ने अपने कृत्य को छुपाने का प्रयास किया होगा, लेकिन चैतन्यतावश अगले ही पल उन्हें वास्तविक जीवन का बोध हो गया होगा।
मृत समझकर मेज (टेबल) से हटाने के लिए जब मेरी तस्वीर को हाथ में उठाया होगा तो मुझे प्रत्येक वस्तुओं में तड़पता देखकर और दु:खी हो गई होगीं।
किसी सखी ने ज़िद करके जब कई दिनों से धूसरित जुल्फ(केशविन्यास) को संवारा होगा, तो मुख पर आभा की बजाय गम के बादल घुमड़ आये होगें। जिन रतिशरों (पुष्पबाणों) से बिजली सी चकाचौंध उत्पन्न हो जाती है उन बेवश अश्रुपूरित नेत्रों के निस्तेज से मुख कांतिहीन हो गया होगा, लेकिन
आँसू भरने पर आँखें और चमकने लगती हैं,
सुरभित हो उठता है समीर, जब कलियॉं झरने लगती हैं।
पद्मश्री क़ैफ़ी आज़मी एक व्यक्ति न होकर एक युग हैं। उनके कलम से उनकी ज़िन्दगी बोलती है। इतना तो ज़िन्दगी में किसी की ख़लल पड़े ।
हँसने से हो सुकून न रोने से कल पड़े
जिस तरह हंस रहा हूं मैं, पी-पी के अश्क-ए-ग़म
यूं दूसरा हंसे तो कलेजा निकल पड़े ।
कैफी की शायरी में सियासत, बगावत और मोहब्बत की अद्भुत जादूगरी है। उनकी कलम से निकले इस गीत के अतिरिक्त ‘देखी जमाने की यारी बिछड़े सभी बारी-बारी…’ ‘वक्त ने किया क्या हसीं सितम…’, ‘दिल की सुनो दुनिया वालों…’, ‘जरा सी आहट होती है तो ये दिल सोचता है…’, ‘ये नयन डरे डरे…’, ‘मिलो ना तुम तो हम घबराए…’, ‘ये दुनिया ये महफिल मेरे काम की नहीं…’ जैसी रचनायें उनके नाम (अभिलाषित) को साकार करती है। उनकी ‘औरत’ ‘मकान’ जैसी कविताएं समाज को बदलने के लिए प्रेरित करती हैं।
गीत से परे अप्रसांगिक तथ्यों में -
ख़ून अपना हो या पराया हो
नस्ल-ए-आदम का ख़ून है आख़िर
जंग मशरिक़ में हो कि मग़रिब में
अम्न-ए-आलम का ख़ून है आख़िर
बम घरों पर गिरें कि सरहद पर
रूह-ए-तामीर ज़ख़्म खाती है
खेत अपने जलें कि औरों के
ज़ीस्त फ़ाक़ों से तिलमिलाती है
राकेश कुमार वर्मा
मो.9926510851
सहृदय प्रणाम करता हूँ आपको श्रीमान। जो मार्मिक वर्णन आपने किया है दिल को छू गया।
DeleteBrilliant...i strongly feel the lyricist needs to be mentioned with every song. as it is they do not get enough credit..
ReplyDeleteBrilliant, very nice. But suggested also to add as per various Singers
ReplyDeletewonderful amazing. . what a feast of melody to fans like us. Thankyou.
ReplyDeleteVery good but add more songs
ReplyDeleteMP3 songs download ka option hona chahiye.
ReplyDeleteNice music and lyrics. Every word has a deep meaning which touches our hearts. Old is gold. Classic song, I love it.
ReplyDeleteSangeetanand Melodies likes the songs and hope that music lovers remember the legendary singer Shri Mohammad Rafi on his death anniversary today 31st July,2023..
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