जिंदगी की कश्मकश में घीरे दिल की आह बखूबी से बयाँ करने वाली आवाज है - तलत महमूद। उनके गीतों में आज भी वो जादू है की जिन्हें सुनते ही हर कोई उनकी आवाज को खुद की कहानी समझकर गीत गुनगुनाने लगता है। ऐसे ही कुछ दिलकश गीत -
अपने पसंदीदा गानों का आनंद लीजिए!
दैनिक जीवन की शोरगुल से दूर सुकून भरा कोई संगीत आप सुनना चाहते हैं तो तलत महमूद को सुनिए।
अगर आप उन लोगों में से हैं जिन्हे अकेलापन बडा ही अच्छा लगता है, तो आप तलत महमूद के गाने सुनने के असली हकदार है ! जैसे ही तलत महमूद के शांत, मृदु, भावपूर्ण, कम्पन भरे स्वर कानों में गूंजने लगते हैं, हमारा अस्तित्व उस अकेलेपन में, तन्हाई के आलम में पिघल जाता है, हमारा मन नैया बनकर तलत महमूद के सुरों के लहरों पर हिलोरे लेने लगता है... यही कारण है तलत महमूद की आवाज का चहिता वर्ग संगीत प्रेमियों की दुनिया में अपनी अलग पहचान और अपना अलग अस्तित्व रखता है।
अपनी आवाज के मुताबिक तलत एक सभ्य, सज्जन, आकर्षक और मृदुभाषी व्यक्ति थे। पारिवारिक विरोध के बावजूद उन्होंने गायन का विकल्प चुना। और जैसा कि आम तौर पर होता है, फिल्म उद्योग में पैर जमाने और सम्मान मिलने पर उनके परिवार ने उनके फैसले का देर से स्वागत किया। शुरुआती दौर में तरल आवाज के तलत को कई संगीतकारों ने रिजेक्ट किया। उनके आवाज की जादू पहचानने का श्रेय जाता है संगीतकार अनिल बिस्वास को, जिन्होंने तलत मेहमूद को अपनी नैसर्गिक आवाज में गाने की सलाह दी। ये गाने बहोत चले और हिंदी फिल्म संगीत को एक बेहतरीन गायक मिल गया। अपने सांगीतिक करियर में वे दिलीप कुमार, देव आनंद, राज कपूर, सुनील दत्त आदि कलाकारों की आवाज बने।
तलत महमूद का जब भी जिक्र होता है, तब मुलायम, रेशमी, मखमली इन शब्दों का हमेशा प्रयोग होता है। भावनाओं की गहराइयों को बया करने वाले आवाज के मालिक, तलत, गजल की शैली को मुख्यधारा में लाने वाले सबसे पहले गायकों में से एक थे। अपनी ओस भरी आवाज की माध्यम से उन्होंने गजल गायन की कला और रूप को बदल डाला। उनकी आवाज ने गजल गायकी का मानों बेंचमार्क प्रस्थापित किया। उनके पश्चात जगजीत सिंग,पंकज उधास, चन्दन दास, तलत अजीज, मेहंदी हसन आदि गजल गायकों ने उनकी शैली का अनुसरण किया।
तलत महमूद और मोहम्मद रफी ने मिलकर एक गाना गाया था जो काफी लोकप्रिय हुआ - 'दिल की अंधेरी रात में, दिल को न बेकरार कर, सुबह जरूर आएगी, सुबह का इंतजार कर'। इस गाने की तरह दोनों के बीच का स्नेह भी बडा मीठा और दृढ था। मोहम्मद रफी के निधन का समाचार सुनकर तलत बडे व्यथित हुए। उन्होंने कहा था ,"काश ऊपरवाला रफी की जगह मुझे उठा लेता। दुनिया को रफी की बहुत जरूरत है, मेरी नहीं।"
यह दोहराने की जरूरत नहीं कि जिस शाम को आप, आपकी तन्हाई और तलत का स्वर ये तीनों बातें एक साथ आएगी, वो शाम आपके जीवन की एक यादगार, अविस्मरणीय शाम बन के रहेगी।
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